Saturday 28 October 2017

TERI TASWEER..!!





तेरी  ज़ुल्फ़ों  में  बंद  वो  खुशबू  चारो  तरफ  बिखर  रहि  थी।
तेरे  चेहरे  पर  वो  ख़ामोशी  मुझसे  बहुत  केह  रही थी। 

बस  करे  तो  मैँ  हरदिन  तेरी  ज़ुल्फ़ों  में  खोया  रहूँ ।
तेरी  खामोशियों  को पढ़कर एक साज़  दिया  करुँ ।

तेरी  होठों  के  वो  शबनम  छूने  को केह  रही  थी।
तेरे  चेहरे पर  बिखरे  हुए  ज़ुल्फ  दिन  को रात कर  रही  थी। 

सच  कहुँ  तो तेरी  ये तस्वीर  मेरी  राहत  है। 
तुझे हर रंगों  से  रंग  देने  की  मेरी  चाहत  है। 

सन्नाटा

हर तरफ सन्नाटा सा छाया है लगता है जलता चिराग का रौशनी किसी ने चुराया है  इस बहती हवा में अब अलग सा सुकून आया  है ! हर तरफ सन्न...