Tuesday 17 January 2017

ROSHNI SE TUM BANI HO...YA ROSHNI TUMSE.!!



रौशनी से  तुम  बनी हो। 
या रौशनी तुमसे। .
हुस्न  कि तुम  परी हो। 
मेरी  आँखों की  तुम्ही  रौशनी  हो। 

किस सितारो  पे तुम  रहती  हो।    
वहाँ से  तुम  क्या  क्या केह जाती हो।
अक्सर  उड़ कर मिलने जाता हु तुमसे. 
तुम बादलों में कही छिप जाति हो.

रौशनी से तुम बनी हो 
या  रौशनी तुमसे
तुम मेरे  ख्यालों की एक लड़ी हो
 मेरे आँखों की तुम्ही रौशनी हो। 
तुम सिर्फ मेरी और मेरी हो।

सन्नाटा

हर तरफ सन्नाटा सा छाया है लगता है जलता चिराग का रौशनी किसी ने चुराया है  इस बहती हवा में अब अलग सा सुकून आया  है ! हर तरफ सन्न...