Thursday 8 October 2015

NAYA SHAHAR..!!



 
नया शहर नया सफर छोड़ के वो पुराना शहर।
आ गया हु अजनबी शहर में। 
एक नयी सी डगर में। 

छूट गया वो पुराना सफर। 
सिर्फ यादों का साथ रह गया। 
और आँखों में कही बस गया वो पुराना सफर। 

इस नये सफर में अब है एक अलग सा जादू।
एक नयी सी सि खुशबू  एक नया सा सपना। 
एक नया सा रंग एक नया सा ढंग।
आ गया हु  इक अजनबी शहर मे 
एक नई सि डगर में।

सन्नाटा

हर तरफ सन्नाटा सा छाया है लगता है जलता चिराग का रौशनी किसी ने चुराया है  इस बहती हवा में अब अलग सा सुकून आया  है ! हर तरफ सन्न...